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दिल्ली की मोहल्ला बस योजना: 100 बसें डिपो में पड़ी, लास्ट माइल कनेक्टिविटी कब होगी मजबूत?

दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी मोहल्ला बस योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। जबकि डिपो में 100 मोहल्ला बसें पहले ही पहुंच चुकी हैं, लेकिन ये बसें अभी तक सिर्फ ट्रायल रूट्स पर ही चल रही हैं। योजना का पूरी तरह से कार्यान्वयन नहीं हो सका है।

क्या है मोहल्ला बस योजना?

मोहल्ला बस योजना का उद्देश्य दिल्ली में उन इलाकों में सार्वजनिक परिवहन सुविधा देना है, जहां डीटीसी और क्लस्टर बसों की पहुंच नहीं है। ये बसें लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में मदद करेंगी। इनकी खासियत ये है कि ये छोटी बसें हैं, जो संकरे इलाकों में आसानी से चल सकती हैं। इनका इस्तेमाल प्रमुख मेट्रो स्टेशनों और स्कूल-कॉलेजों तक पहुंच बनाने के लिए किया जाएगा।

ट्रायल और अगले कदम

मोहल्ला बसों का ट्रायल पहले दो रूट्स पर किया गया था और अब यह छह रूट्स पर जारी है। अधिकारियों का कहना है कि बसों का ट्रायल सफल रहा है और पंजीकरण प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। बसों में सुरक्षा के लिए सभी जरूरी उपकरण भी फिट किए जा चुके हैं।

योजना के तहत दिल्ली में 2000 से अधिक छोटी इलेक्ट्रिक मोहल्ला बसें चलाने का लक्ष्य है। इन बसों में जीपीएस, पैनिक बटन और अन्य सुरक्षा सुविधाएं होंगी।

अड़चनें और समाधान

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बसों को लांच करने के लिए एक सर्टिफिकेट की आवश्यकता है, जिसके लिए बस निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है। बसों को इलेक्ट्रिक रूप में खरीदने के लिए जारी टेंडर में कुछ शर्तें थीं, जिनमें यह तय किया गया था कि कौन से उपकरण आयात किए जा सकते हैं। हालांकि, जिन कंपनियों से बसें खरीदी गई हैं, उन्होंने इन शर्तों को पूरा करने में समस्या का सामना किया, क्योंकि आई कैट (इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नॉलजी) ने मार्च के बाद से इंडिजिनाइजेशन सर्टिफिकेट देना बंद कर दिया है।

अंत में

सभी अड़चनें जल्दी हल होने की उम्मीद है, और मोहल्ला बस योजना को जल्द ही आधिकारिक तौर पर लागू किया जाएगा, जिससे दिल्ली की लास्ट माइल कनेक्टिविटी बेहतर होगी और लोगों को सार्वजनिक परिवहन के लिए बेहतर विकल्प मिलेंगे।

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