
अधिकतर सड़क दुर्घटनाओं में लापरवाही किसी एक चालक की होती है, लेकिन उसका खामियाजा अन्य व्यक्तियों को भी भुगतना पड़ता है। सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए, ड्राइविंग सिखाने वाले स्कूलों और प्रशिक्षकों का नियमों के अनुसार काम करना बहुत जरूरी है। लेकिन छतरपुर शहर में बहुत से अवैध ड्राइविंग स्कूल काम कर रहे हैं, जो लोगों को सही तरीके से वाहन चलाना नहीं सिखा पा रहे हैं।
अवैध स्कूलों की बढ़ती संख्या
शहर में सिर्फ दो ड्राइविंग स्कूल पंजीकृत हैं, लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा स्कूल बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। ये स्कूल गली-मोहल्लों में बिना किसी मान्यता के वाहन चलाने की शिक्षा दे रहे हैं। ऐसे स्कूलों में लोग अधूरी जानकारी प्राप्त कर वाहन चलाना सीखते हैं, जिससे वे सड़क पर खुद दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं या दूसरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नियमों का पालन नहीं हो रहा
ड्राइविंग स्कूल शुरू करने के लिए आरटीओ से रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इसके लिए स्कूल में प्रशिक्षकों का अनुभव, वाहन और प्रशिक्षण स्थान की जानकारी दी जाती है, लेकिन कई स्कूल बिना किसी कागजी कार्रवाई के चल रहे हैं।
फीस की अधिक वसूली
परिवहन विभाग के अनुसार, जीप और कार चलाने के लिए डेढ़ हजार रूपए फीस निर्धारित है, लेकिन अवैध स्कूल 2500 से 3000 रूपए तक वसूलते हैं। भारी वाहन के लिए भी 3000 रूपए की फीस ली जाती है।
ड्राइविंग स्कूल के नियम और गाइडलाइंस
- ड्राइविंग स्कूल के प्रशिक्षक को कम से कम 10वीं पास होना चाहिए और उन्हें मोटर मैकेनिक या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में तकनीकी योग्यता होनी चाहिए।
- स्कूल में उचित वाहन, इंजन उपकरण, फर्नीचर और सुरक्षा उपकरण होना चाहिए।
- स्कूल के पास लाइसेंस, प्रमाण पत्र और प्रशिक्षण स्थान की पूरी जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए।
आरटीओ का बयान
आरटीओ विक्रमजीत सिंह कंग ने कहा कि शहर में सिर्फ दो स्कूल के पास लाइसेंस है। बिना लाइसेंस चलने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।