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चित्तौड़गढ़: सेहत से खिलवाड़, केमिकल वाले रंग में उबालकर बेचे जा रहे सिंघाड़े

चित्तौड़गढ़: सेहत के लिए फायदेमंद माने जाने वाले सिंघाड़ों को केमिकल युक्त रंग में उबालकर बेचा जा रहा है, जिससे उनकी पौष्टिकता खत्म हो रही है और सेहत को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। जिले के विभिन्न बाजारों और गलियों में ऐसे सिंघाड़ों की बिक्री जोरों पर है।

सिंघाड़े की पहचान और उपयोग

सिंघाड़ा एक त्रिकोण आकार का फल है, जो पानी में उगता है और अपने दो सिंगों के लिए जाना जाता है। इसमें विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो सर्दियों में शरीर के लिए लाभदायक हैं। आमतौर पर इसे हरे और लाल रंग में कच्चा या उबालकर खाया जाता है।

केमिकल युक्त सिंघाड़ों का खतरा

  • सिंघाड़ों को कपड़े रंगने वाले केमिकल में उबालकर काला बनाया जा रहा है।
  • इस प्रक्रिया से फल में केमिकल की थोड़ी मात्रा प्रवेश कर जाती है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
  • हरे और लाल सिंघाड़े जल्दी खराब हो जाते हैं, जबकि काले सिंघाड़े कई दिनों तक खराब नहीं होते।
  • कई लोग काले सिंघाड़ों को पका हुआ मानते हैं और इन्हें खरीदना पसंद करते हैं, जबकि असली पौष्टिकता साधारण सिंघाड़ों में होती है।

सिंघाड़ों के पोषक तत्व

सिंघाड़े में विटामिन ए, विटामिन सी, मैंगनीज, कार्बोहाइड्रेट, सिट्रिक एसिड, थायमाइन, प्रोटीन और निकोटेनिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और कई प्रकार के विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं।

नोट: उपभोक्ताओं को सावधान रहने और केवल प्राकृतिक सिंघाड़ों का ही सेवन करने की सलाह दी जाती है।

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