लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी को नई दिशा देने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं। वह कामराज-2 योजना लागू कर सकते हैं, जिसके तहत संगठन में बड़े बदलाव किए जाएंगे। यह कदम वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है, लेकिन यह जोखिम भरा भी हो सकता है।
क्या है कामराज-2 योजना?
- सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों से इस्तीफा लेकर संगठन का पुनर्गठन।
- प्रदेश अध्यक्षों में बदलाव: महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति।
- युवाओं को मौका: राज्यों में पार्टी की कमान युवा नेताओं को दी जा सकती है।
- कुशल नेताओं को राज्यों से हटाकर केंद्र में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
13 राज्यों में हार ने किया कमजोर:
पिछले दो सालों में कांग्रेस ने 17 में से 13 राज्यों के विधानसभा चुनाव हारे हैं। खासतौर पर हरियाणा और महाराष्ट्र की हार ने पार्टी नेतृत्व को झकझोर दिया है।
संतुलन बनाने की चुनौती:
- कांग्रेस के दोनों प्रमुख पद दक्षिण के नेताओं के पास हैं।
- मल्लिकार्जुन खरगे (कर्नाटक)
- केसी वेणुगोपाल (केरल)
- उत्तर और पूर्वोत्तर के नेता और कार्यकर्ता इनसे संवाद करने में हिचकिचाते हैं।
राहुल-प्रियंका की भूमिका:
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी के निर्णयों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। राहुल ने सीडब्ल्यूसी बैठक में खरगे से बड़े और सख्त कदम उठाने को कहा है।
नेहरू के समय की कामराज योजना:
- 1962 के चीन युद्ध के बाद जनता में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई थी।
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. कामराज ने नेहरू को सरकार और मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा लेने का सुझाव दिया।
- नई टीम में वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाया गया, जिससे कांग्रेस मजबूत हुई।
कांग्रेस की मौजूदा स्थिति:
- राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा: हार की समीक्षा और जवाबदेही तय नहीं।
- हरियाणा: चुनाव खत्म होने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष तय नहीं।
- महाराष्ट्र: हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी पर स्थानीय नेताओं की बयानबाजी।
निष्कर्ष: कांग्रेस को चुनावी हार से उबारने के लिए बड़े बदलाव की जरूरत है। कामराज-2 योजना पार्टी को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा सकती है।