मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी
पिछले सोमवार से इस नए नियम का पालन अस्पतालों में शुरू हो गया। उदाहरण के तौर पर, 86 साल के पेंशनर नारायणसिंह, जो चलने-फिरने में सक्षम नहीं हैं, जब उनके पुत्र जीवनसिंह पर्ची कटवाने अस्पताल गए, तो उन्हें कहा गया कि पर्ची के लिए फोटो खिंचवानी होगी। इसके बिना पर्ची नहीं कटेगी। इसी तरह, मुन्नी देवी के पति को भी यही परेशानी हुई। उन्होंने अपनी पत्नी को अस्पताल लाने का प्रयास किया, लेकिन पर्ची नहीं काटी गई।
बुजुर्गों के लिए कठिनाई
पेंशनर्स के लिए यह नया नियम एक बड़ी समस्या बन गया है, खासकर बुजुर्गों के लिए जो चलने में सक्षम नहीं होते। पेंशनर्स दिनेश दवे और छगनलाल गहलोत ने बताया कि वे नियमित दवाइयां लेने के लिए पर्ची कटवाते हैं, लेकिन अब उन्हें भी अस्पताल लाकर कतार में खड़ा होना पड़ेगा। कई बुजुर्ग तो वाहन में ही लेटे-लेटे डॉक्टर से दिखाकर पर्ची लिखवाते हैं। ऐसे में वे कैसे फोटो खिंचवाने के लिए लाइन में खड़े हो सकते हैं, यह सवाल उठता है।
नए नियम की व्यवस्था
अस्पतालों में यह व्यवस्था ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की गई थी, लेकिन जब साइट पर समस्या आई, तो अस्पताल में वेब कैमरा लगाया गया और पर्ची का कार्य शुरू किया गया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू की गई है।
बुजुर्गों को छूट की मांग
बुजुर्गों का मानना है कि यह नया नियम उनके लिए अव्यावहारिक है और उन्हें इस नियम से छूट मिलनी चाहिए।