श्रृंगी ऋषि की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे
सिहावा पर्वत पर राम वन गमन पथ कॉरीडोर विकसित करने के लिए 9.61 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यहां 30 फीट ऊंची प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के साथ सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं लगाई गई हैं। लेकिन श्रृंगी ऋषि की प्रतिमा आज भी खुले आसमान के नीचे है। छत और अन्य निर्माण कार्य पूरे नहीं हुए हैं।
अधूरी परियोजना, खराब रखरखाव
- सौंदर्यीकरण अधूरा: मूर्तियों के आसपास सरिया बिखरे हैं और हरियाली गायब है।
- टूट-फूट: दीप स्तंभ की टाइल्स उखड़ रही हैं, और एप्रोच रोड का हिस्सा कच्चा है।
- अधूरे निर्माण: यज्ञशाला, ओवरहेड टैंक, और कॉटेज का निर्माण अधूरा पड़ा है।
पर्यटकों की निराशा
सिहावा की शांत वादियां और हरियाली पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। लेकिन राम वन गमन पथ का खराब रखरखाव देखकर पर्यटक मायूस होकर लौट जाते हैं। भिलाई से आए पर्यटकों ने कहा कि यहां आना व्यर्थ लगा क्योंकि सौंदर्यीकरण और सुविधाओं का अभाव है।
शांता गुफा बंद, कोई विकास नहीं
श्रृंगी ऋषि का विवाह रामजी की बहन शांता से हुआ था। उनकी स्मृति में बनी शांता गुफा आज भी बंद है। इसे विकसित करने का कोई प्रयास नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में भालू और तेंदुआ जैसे वन्य जीव घूमते हैं, जिससे खतरा बना रहता है।
9.61 करोड़ की परियोजना के कामों की स्थिति
परियोजना के तहत प्रवेश द्वार, एलईडी ब्रांडिंग, श्रीराम वाटिका, सप्त ऋषियों की प्रतिमा, पर्यटक सूचना केंद्र, कॉटेज, पार्किंग, और लॉन डेवलपमेंट जैसे काम किए गए। लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकांश चीजें खराब हो चुकी हैं।
स्थानीय प्रशासन से मांग
स्थानीय लोग और पर्यटक चाहते हैं कि सिहावा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यहां के विकास और रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए। इससे पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी और क्षेत्र का महत्व भी कायम रहेगा।