उन्होंने कहा, “हम किसानों को उनका हक भी नहीं दे रहे, पुरस्कृत करना तो बहुत दूर की बात है।” धनखड़ ने सवाल किया कि आखिरकार किसानों से संवाद क्यों नहीं हो रहा? हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य देना देश के लिए फायदेमंद होगा।
उपराष्ट्रपति का कृषि मंत्री से सीधा सवाल
धनखड़ ने कृषि मंत्री से कहा, “क्या किसानों से कोई वादा किया गया था? अगर किया गया था तो उसे पूरा क्यों नहीं किया जा रहा? पिछले साल भी आंदोलन हुआ, इस साल भी। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?”
उन्होंने कहा कि आज सरदार पटेल की याद आती है, जिन्होंने देश को एकजुट किया। यही चुनौती कृषि मंत्री के सामने भी है।
किसान की आवाज को दबाया नहीं जा सकता
धनखड़ ने कहा कि यह सोच गलत है कि किसान आंदोलन का मतलब सिर्फ सड़क पर प्रदर्शन करने वाले लोग हैं। किसान का बेटा आज अधिकारी और कर्मचारी है। उन्होंने कहा, “हमने पहली बार भारत को ऊंचाई पर जाते देखा है। लेकिन ऐसा क्यों है कि किसान परेशान और पीड़ित है?”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में कोई ताकत किसान की आवाज को दबा नहीं सकती। किसान और उनके हितैषी आज चुप क्यों हैं? उन्होंने सरकार से किसानों से संवाद करने और उनके वादों को पूरा करने की अपील की।