अब तक जिले के पांच विकासखंडों से 8800 मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। परीक्षण में नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों में हरापन और वृद्धि की समस्या सामने आई है। कृषि विभाग किसानों को रासायनिक खाद का उपयोग कम करने और जैविक खाद का अधिक प्रयोग करने की सलाह दे रहा है। इसके अलावा, वे फसल के हिसाब से खाद का सही उपयोग करने की भी समझाइश दे रहे हैं।
मिट्टी की जांच के परिणाम
कृषि विभाग के अनुसार, 12 विभिन्न तत्वों की जांच की जाती है जैसे ईसी, पीएच, नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, आयरन, सल्फर, कैल्शियम आदि। सोहागपुर और ब्यौहारी की मिट्टी सामान्य पाई गई है, जबकि बुढ़ार, जयसिंहनगर और गोहपारू की मिट्टी अम्लीय पाई गई है। कुछ स्थानों पर जिंक की कमी भी पाई गई है, जिससे फसलों में चमक और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम यूरिया और एनपीके खाद का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।
उर्वरक का अधिक उपयोग और उसके प्रभाव
किसान नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे फसलों की लागत बढ़ जाती है। कृषि अधिकारी रमेन्द्र सिंह ने बताया कि किसानों को धान की पराली और खरपतवारों को जलाने से होने वाली हानि के बारे में जागरूक किया जा रहा है। हालांकि, इसके बावजूद कुछ किसान खेतों में आग लगा कर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, किसानों में गोबर की खाद और जैविक खाद का प्रयोग करने का रुझान कम है। कई किसान रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं, जो उनके लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
कृषि विभाग का बयान
आरपी झारिया, उप संचालक कृषि ने कहा कि किसान सही तरीके से खेती नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो रहे हैं। किसानों को खाद के सही उपयोग की जानकारी दी जा रही है ताकि उनकी फसलें बेहतर उग सकें।