राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने जोधपुर में आयोजित आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा कि हमें आयुर्वेद के महान भारतीय ज्ञान को आधुनिक समय के अनुरूप बनाना चाहिए और इससे जुड़ी दुर्लभ औषधियों का पेटेंट और प्रमाणीकरण करना चाहिए। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों पर अधिक शोध और अनुसंधान करने की आवश्यकता जताई, खासकर असाध्य रोगों के उपचार में इनके उपयोग को बढ़ावा देने की बात की।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को विदेशों में ले जाया गया और उसमें कुछ बदलाव भी किए गए। इसलिए अब यह जरूरी है कि हमारे पास जो आयुर्वेद का ज्ञान और दुर्लभ औषधियां हैं, उनका पेटेंट करवाया जाए। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में आयुर्वेद से जुड़ी किताबों को जलाए जाने का उल्लेख करते हुए यह बताया कि भारतीय ज्ञान को कोई नष्ट नहीं कर सका।
राज्यपाल ने आयुर्वेदाचार्यों से अपील की कि वे इस प्राचीन ज्ञान को आम जनता तक पहुंचाएं। उन्होंने औषधीय जड़ी-बूटियों और लिखित ग्रंथों के महत्व पर भी जोर दिया।
इस कार्यक्रम में प्रदेश के मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आयुर्वेद को एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति बताया जो शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाए रखती है।