गैर राज्य सिविल सेवा (नॉन एससीएस) अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है, जिससे राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने RAS परिषद और 22 अधिकारियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए 5 लाख रुपए का हर्जाना लगाया। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते दायर की गई थी। साथ ही निर्देश दिया कि चार सप्ताह में हर्जाना राशि जमा की जाए, अन्यथा मामला कोर्ट में लाया जाएगा।
कोर्ट का निर्णय
न्यायाधीश पंकज भंडारी और शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह फैसला दिया। कोर्ट ने माना कि कैट (CAT) द्वारा 12 मार्च 2021 को नॉन एससीएस की पदोन्नति को चुनौती देने वाली याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी। जुलाई 2023 में नॉन एससीएस अधिकारियों की पदोन्नति पर रोक लगा दी गई थी, जिसे अब हटा दिया गया है।
पक्ष-विपक्ष के तर्क
याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि नॉन एससीएस अधिकारियों को विशेष परिस्थितियों में ही IAS में प्रमोट किया जा सकता है और उनकी पदोन्नति के लिए उत्कृष्ट योग्यता के बजाय केवल एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) को देखा जा रहा है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि नॉन एससीएस अधिकारियों की पदोन्नति नियमानुसार हो रही है।
IAS बनने के तरीके
IAS अधिकारी बनने के तीन तरीके हैं:
- यूपीएससी परीक्षा – 66.5% चयन इसी से होता है।
- राज्य सेवा से पदोन्नति – 33.5% चयन इसी माध्यम से।
- नॉन एससीएस से पदोन्नति – राज्य सेवा से प्रमोट होने वाले 33.5% में से 15% नॉन एससीएस से होते हैं।
RAS एसोसिएशन का बयान
RAS एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी ने कहा कि इस फैसले का अध्ययन कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं के नाम
इस याचिका में अनिल कुमार अग्रवाल, सुनील शर्मा, राजेंद्र सिंह, शाहीन अली खान, राकेश शर्मा, मनीष गोयल, महेंद्र खींची, और अन्य अधिकारी शामिल थे।