मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब एनीमिया का इलाज सिर्फ एक इंजेक्शन से किया जाएगा। खासतौर पर एनीमिक गर्भवती महिलाओं को 3 से 5 बार इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं होगी। सभी जिला अस्पतालों में फेरिक कार्बोक्सी माल्टोज (एफसीएम) इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
निजी और सरकारी अस्पतालों का अंतर
निजी अस्पतालों में इस इंजेक्शन का खर्च 3500 रुपये तक होता है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह मुफ्त में लगाया जाएगा। जल्द ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) पर भी यह सुविधा शुरू की जाएगी। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को इसके उपयोग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
एफसीएम इंजेक्शन के फायदे
- यह एक ही डोज में हीमोग्लोबिन तेजी से बढ़ा देता है।
- बार-बार इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं होती।
- दूरदराज की महिलाओं को भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा।
एनीमिया की स्थिति और समस्या
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, मध्यप्रदेश में 52.8% गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं। आयरन की कमी के कारण बड़ी संख्या में बालिकाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में भी एनीमिया पाया जाता है।
पहले का इलाज
पहले आयरन-फॉलिक एसिड की गोलियां दी जाती थीं, जिनसे पेट संबंधी समस्याएं होती थीं। इसके बाद आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लाए गए, लेकिन उनके 5 डोज लगवाने पड़ते थे। अधिकतर मरीज सिर्फ 1-2 डोज ही लगवाते थे। अब एफसीएम इंजेक्शन से यह समस्या हल हो जाएगी।
किन्हें है जरूरत?
- गर्भवती महिलाएं और बालिकाएं
- दुग्धपान कराने वाली माताएं
- हेवी ब्लीडिंग, इंफ्लेमेटरी डिजीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज वाले मरीज
सरकार का उद्देश्य
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक इस सुविधा को जल्द शुरू करने का लक्ष्य है, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में भी महिलाएं इस इलाज का लाभ ले सकें।