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बीड़ी उद्योग के श्रमिक: संकट और समाधान

बीड़ी उद्योग का महत्व
मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा बीड़ी उत्पादन केंद्र है, जहां तेंदू पत्तों की प्रचुरता है। यह उद्योग लाखों लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है, खासकर महिलाओं के लिए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग को गंभीर संकट का सामना करना पड़ा है।

संकट के कारण

  1. जीएसटी का प्रभाव:
    • 2017 में बीड़ी पर 28% जीएसटी लागू होने से उत्पादन लागत बढ़ गई।
    • इससे मालिकों पर वित्तीय दबाव बढ़ा और श्रमिकों के वेतन में कटौती हुई।
  2. सख्त कानून:
    • 2003 के एंटी-टबैको कानून और अन्य सरकारी नियमों ने उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
  3. असंगठित क्षेत्र की समस्याएं:
    • अधिकतर बीड़ी श्रमिक पंजीकृत नहीं हैं।
    • श्रमिकों को पीएफ और न्यूनतम वेतन जैसी सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिलता।
  4. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी:
    • बीड़ी श्रमिकों के लिए निर्धारित डिस्पेंसरियों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है।

महिलाओं पर प्रभाव
बीड़ी उद्योग में महिलाओं की संख्या अधिक है, जिनके पास रोजगार के सीमित विकल्प हैं। महिलाओं का कहना है कि यदि यह उद्योग बंद हो गया तो उनकी आजीविका पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।

सरकार के लिए सुझाव

  1. जीएसटी दर में कमी करें:
    • 28% की दर को घटाकर उद्योग पर वित्तीय दबाव कम करें।
  2. पंजीकरण और श्रम कानून:
    • सभी बीड़ी प्रतिष्ठानों और श्रमिकों को पंजीकृत करें।
    • श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।
  3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं:
    • श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधाएं बेहतर बनाएं।
    • शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों तक पहुंच बढ़ाएं।
  4. पहचान पत्र जारी करें:
    • श्रमिकों को पहचान पत्र देकर उन्हें कानूनी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दें।

निष्कर्ष
बीड़ी उद्योग लाखों लोगों की आजीविका का आधार है। सरकार को श्रमिकों के कल्याण और उद्योग को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि यह पारंपरिक उद्योग फिर से मजबूती के साथ खड़ा हो सके।

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