अशोक तिवारी ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें 65 साल की उम्र में जबरन सेवानिवृत्त किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट और मुंबई हाईकोर्ट के फैसलों के अनुसार आयोग के चेयरमैन और सदस्य का कार्यकाल 67 साल तक होना चाहिए। तिवारी ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया और इसे गलत ठहराया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद पाठक की एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अशोक तिवारी को आयोग के चेयरमैन पद पर बने रहने का आदेश दिया। कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा है और इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की है। इस बीच, तिवारी के स्थान पर श्रीकांत पांडे को प्रभारी बनाने के आदेश पर भी रोक लगाई गई है।