क्या कहता है शोध?
यह अध्ययन JAMA Network Open पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें पाया गया कि जिन बच्चों को चिंता, अवसाद, या गुस्से जैसी मानसिक समस्याएं थीं, उनमें पार्क में समय बिताने के बाद सुधार देखने को मिला। यह बदलाव खासकर महामारी के दौरान बच्चों पर हुए नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए अहम है।
अध्ययन के खास तथ्य:
- इस अध्ययन में 500 से अधिक बच्चे शामिल थे।
- बच्चे स्कूल के पास के पार्क या हरे-भरे इलाकों में समय बिताते थे।
- तीन महीने में बच्चों के व्यवहार में ध्यान केंद्रित करने, शांत रहने और संतुलन लाने जैसे बदलाव दिखे।
- बच्चे पेड़ का चित्र बनाना, हाइकू लिखना, और ध्यानपूर्ण तरीके से चलना जैसी गतिविधियां करते थे।
प्रकृति के फायदे:
मैकगिल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरी-क्लाउड जियोफ्रॉय के अनुसार, यह एक सरल और प्रभावी तरीका है, जिससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। सह-लेखिका प्रोफेसर सिल्वाना कोटे ने बताया कि यह खासतौर पर उन बच्चों के लिए उपयोगी है जो मानसिक रूप से ज्यादा संवेदनशील हैं।
स्कूलों में अपनाने लायक तरीका:
शोध के मुताबिक, यह कार्यक्रम बच्चों के मानसिक और शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार करता है। यह आसान, सस्ता, और सुरक्षित तरीका हर स्कूल में लागू किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
प्रकृति में समय बिताना बच्चों के लिए मानसिक शांति और खुशी लाने का एक प्राकृतिक और सरल उपाय है। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य, पढ़ाई और सामाजिक जीवन पर सकारात्मक असर पड़ता है।