
गुरकीरत सिंह ब्रोका ने अजमेर में घर के एक कमरे को कश्मीर जैसा माहौल देकर केसर की खेती शुरू की। कम खर्च में नई तकनीक से उन्होंने मात्र 3 महीने में केसर का उत्पादन कर लिया।
कैसे किया कमरा तैयार:
- कश्मीर से केसर के बीज लाए।
- घर के कमरे में 2 टन का एसी लगाकर लैब-कोल्ड रूम बनाया।
- ताजी हवा के लिए सिर्फ एक विंडो रखी।
- बीजों को डेढ़ महीने तक अंधेरे में ट्रे में रखा गया।
- कमरे का तापमान दिन में 10-12 डिग्री सेल्सियस रखा।
- बीजों की जांच मोबाइल की रोशनी से की गई।
सितंबर से दिसंबर तक केसर तैयार:
सितंबर में बीज लगाए गए।
- अक्टूबर में कलियां आना शुरू हुईं।
- दिसंबर में फूलों के साथ केसर निकलने लगा, जिसे सुखाने का काम जारी है।
कम खर्च में उगाई केसर:
- घर में लगे इन्वर्टर एसी का उपयोग किया।
- महंगे स्मार्ट गैजेट्स के बजाय 2-3 हजार का ह्यूमिडिफायर बनाया।
- सफेद एलईडी लाइट के साथ 500-1000 रुपए की नीली और लाल लाइट का इस्तेमाल किया।
- कुल लागत 25-40 हजार रुपए आई।
मिट्टी की जांच:
गुरकीरत ने मृदा कार्यालय से अजमेर की मिट्टी की जांच कराई और उसमें वर्मी कम्पोस्ट मिलाया। साथ ही ऑनलाइन जांच भी की।
केसर की शुद्धता की पहचान:
- असली केसर का पिछला हिस्सा पतला होता है।
- पानी में 15-20 मिनट बाद पीला रंग दिखता है।
- नकली केसर तुरंत रंग छोड़ता है।
- असली केसर की महक देर तक बनी रहती है।
निष्कर्ष:
गुरकीरत का यह नवाचार युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है, जो कम खर्च में घर पर ही उच्च गुणवत्ता का केसर उत्पादन कर सकते हैं।