नवंबर से जीएसटी में आईएमएस सिस्टम लागू किया गया है, जिसके तहत हर बिल, इनवॉयस और चालान की ऑनलाइन एंट्री करना जरूरी है। इस सिस्टम के कारण किराना और मेडिकल जैसे व्यापारियों की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि हर बिल की एंट्री कराने में समय लगता है।
इसके अलावा, जीएसटी में नया रजिस्ट्रेशन लेने की प्रक्रिया भी जटिल हो गई है। अब बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए व्यापारी को अपने कार्यालय तक जाना पड़ता है, जो ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के उद्देश्य के खिलाफ है।
व्यापारी रामअवतार यादव ने बताया कि जीएसटी नंबर लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं, और कई व्यापारी इसे लेने से डर रहे हैं।
इसके अलावा, व्यापारी पवन पाठक और मोहमद जावेद ने बताया कि सीजीएसटी विभाग के आदेशों की अपील भोपाल में पेंडिंग रहती है, जिससे व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
रवि हसरेजा ने बताया कि जीएसटी की वार्षिक रिटर्न की गलती सुधारने की तारीख 30 नवंबर तक रखी गई है, जबकि सुधार का काम 31 दिसंबर तक होना चाहिए था, क्योंकि गलती की जानकारी तो बाद में ही मिलती है।
व्यापारी सुरेंद्र मालथौन ने भी कहा कि बदलावों में उनके सुझाव नहीं लिए जाते और बिना सूचना के बदलाव कर दिए जाते हैं।