माध्यमिक शिक्षा के तहत कई अधिशेष शिक्षकों को प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा में समायोजित किया गया। इस प्रक्रिया में प्रदेशभर में हजारों शिक्षकों का समायोजन किया गया, लेकिन इस बार पुराने पैटर्न को बदल दिया गया। पहले काउंसलिंग में शिक्षक अपनी पसंद के स्कूल को चुन सकते थे, लेकिन अब विभाग ने बिना काउंसलिंग के सीधी सूची बना दी, जिससे कई शिक्षक असंतुष्ट हैं।
समायोजन के बाद कई शिक्षकों को नजदीकी स्कूलों में पदस्थ किया गया, जबकि कुछ को 50 से 100 किमी दूर भेज दिया गया। इसके बाद शिक्षकों को अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से अपनी पोस्टिंग बदलवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
जानकारों के अनुसार, समायोजन में शिक्षकों को उनके पास के विद्यालय या ब्लॉक में ही लगाया जाना चाहिए था, लेकिन कई शिक्षक गाइडलाइन के खिलाफ दूरदराज के स्कूलों में भेजे गए हैं। इस बदलाव को लेकर शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। काउंसलिंग के बजाय समायोजन सूची जारी करना शिक्षकों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है और गाइडलाइन का उल्लंघन भी हो रहा है।
बसंतकुमार जांणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ (रेस्टा) ने इस बदलाव को गलत बताया और कहा कि काउंसलिंग में पारदर्शिता होती है, लेकिन सूची बनाकर समायोजन करने से विभागीय अधिकारियों की मनमर्जी चल रही है।