क्या कहा था जज यादव ने?
जज शेखर कुमार यादव ने रविवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि “भारत बहुसंख्यक समुदाय की इच्छाओं के अनुसार चलेगा, और बहुसंख्यकों का कल्याण दूसरों से ऊपर है।” इस बयान को लेकर सियासी विवाद बढ़ गया।
महाभियोग की तैयारी
सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने इस बयान के बाद संविधान की धारा 124(4) के तहत जज यादव को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की घोषणा की। इस प्रस्ताव को लाने के लिए 100 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है, जिसमें से अब तक सात सांसदों ने समर्थन पत्र पर साइन कर दिया है। इन सांसदों में असदुद्दीन ओवैसी, राजकुमार रोत, सुदामा प्रसाद और मोहिबुल्लाह नदवी जैसे नेता शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जज यादव के बयान पर मीडिया रिपोर्ट्स को नोटिस लिया है और इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है।
कांग्रेस और अन्य दलों का विरोध
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जज यादव के बयान की आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह देश की एकता को नुकसान पहुंचा सकता है। यूपी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की है, उनका कहना है कि ऐसे बयान न्यायपालिका की साख को कमजोर करते हैं।
न्यायाधीशों के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन
कांग्रेस के नेता शाहनवाज आलम ने कहा कि जज शेखर कुमार यादव और जस्टिस दिनेश पाठक का किसी गैर सरकारी मंच पर जाकर भाषण देना न्यायाधीशों के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है।
सारांश
जज शेखर कुमार यादव का बयान सियासी विवाद का कारण बन गया है। अब विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके खिलाफ संसद में महाभियोग लाने की तैयारी शुरू कर दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है।