
रामगंजमंडी के डाकघर में पिछले 40 साल से एक पोस्टमैन का पद रिक्त पड़ा हुआ है। इसके बावजूद पूरे शहर की डाक वितरण व्यवस्था सिर्फ दो पोस्टमैन के भरोसे चल रही है। 1984 के बाद इस पद की पूर्ति के लिए पूर्व कर्मचारियों को अस्थायी रूप से रखा जा रहा है, लेकिन विभाग द्वारा अब तक इसे भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
डाकघर की पहचान और जिम्मेदारियां
रामगंजमंडी में 1961 में भारतीय डाकघर खोला गया था। तब यहां की आबादी केवल सात हजार थी और डाकघर में तीन पोस्टमैन काम कर रहे थे। लेकिन शहर की आबादी बढ़ने और व्यापार में विस्तार के साथ डाकघर के कामकाज भी बढ़ गए, लेकिन पोस्टमैन की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई। अब शहर में 5 पोस्टमैन की आवश्यकता है, लेकिन विभाग ने अब तक इन रिक्त पदों को भरने की कोई कार्रवाई नहीं की है।
पोस्टमैन के काम में बढ़ोतरी
पहले पोस्टमैन का मुख्य काम केवल डाक वितरण था, लेकिन अब उन्हें आईपीपीबी खाते खोलने, बैंकों के चेक बुक और सरकारी विभागों की डाक का वितरण जैसे कई अतिरिक्त जिम्मेवारियां भी दी गई हैं। इसके बावजूद पदों में वृद्धि नहीं हो रही है। हर साल विभाग को पदों की बढ़ोतरी के लिए पत्र लिखा जाता है, लेकिन अब तक कोई परिणाम नहीं मिला है।