2024 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजूले ने बताया कि इस साल 68 पत्रकारों की हत्या हुई। इनमें से 60% हत्याएं युद्ध और टकराव वाले क्षेत्रों में हुईं। यह आंकड़ा पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है।
युद्धग्रस्त क्षेत्रों में सबसे अधिक मौतें
- इस साल 42 पत्रकारों की मौत युद्धग्रस्त इलाकों में हुई।
- सबसे ज्यादा 18 मौतें फलस्तीन में हुईं।
- यूक्रेन, कोलंबिया, इराक, लेबनान, म्यांमार और सूडान में भी कई पत्रकार मारे गए।
2023 और 2024 में खतरनाक स्थिति
- इन दो वर्षों में पत्रकारों की सबसे ज्यादा हत्याएं हुईं, जो 2016-2017 के बाद सबसे अधिक हैं।
- हालांकि, टकराव वाले इलाकों के बाहर पत्रकारों की मौतों में कमी आई।
लैटिन अमेरिका में गिरावट
- 2022 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में 43 पत्रकार मारे गए थे।
- 2024 में यह संख्या घटकर 12 रह गई, जो शांतिकाल में पत्रकारों के खिलाफ खतरों में कमी का संकेत है।
नई चुनौतियां और खतरों का सामना
- पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर हमलों में 2019 से 2024 के बीच 42% की वृद्धि हुई।
- पत्रकारों को शारीरिक खतरों के अलावा कानूनी और वित्तीय दबावों का भी सामना करना पड़ रहा है।
UNESCO का आग्रह
- यूनेस्को ने सभी देशों से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
- यह संस्था प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए लगातार काम कर रही है।
सत्य की खोज के लिए जान का खतरा नहीं होना चाहिए
यूनेस्को ने कहा कि पत्रकारों को उनके काम के लिए अपनी जान नहीं गंवानी चाहिए। संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मीडिया कर्मियों के लिए सुरक्षा को मजबूत करने का आह्वान किया है।