फिक्की और अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रोन और इसके कलपुर्जों का उद्योग भारत की विनिर्माण क्षमता को 2030 तक 23 अरब डॉलर तक बढ़ा सकता है।
इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि भारत चीनी ड्रोन पर अपनी निर्भरता खत्म कर सकता है। प्रखर सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस के समूह सीईओ प्रदीप नामदेव ने बताया कि कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उनकी कंपनी ने 1500 एकड़ से अधिक भूमि में किसानों को ड्रोन के बारे में शिक्षित करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। उनका लक्ष्य 2027 तक ड्रोन संबंधित क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 5,000 रोजगार के अवसर पैदा करना है।
नामदेव ने यह भी कहा कि भारत में ड्रोन के लिए काफी संभावनाएं हैं, और यह न केवल कृषि बल्कि रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी उपयोगी हो सकते हैं। प्रखर एकमात्र घरेलू ड्रोन निर्माता है जिसने स्वदेशी उड़ान नियंत्रक और एआई आधारित मॉडल जैसे अन्य कंपोनेंट्स विकसित किए हैं।