जयपुर एलपीजी टैंकर ब्लास्ट को 24 घंटे से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन चश्मदीद अभी भी सदमे में हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी मौत को करीब से देखा। आग के उस खौफनाक मंजर ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है।
चश्मदीदों की जुबानी:
- निर्मला चौबिसा की कहानी:
उदयपुर की रहने वाली 35 साल की निर्मला चौबिसा हादसे के समय जयपुर जा रही थीं।- हादसे के बाद बस आग से घिर गई थी।
- उन्होंने खिड़की का कांच तोड़कर भागने की कोशिश की।
- चारों तरफ आग ही आग थी, लोग चीखते-चिल्लाते हुए भाग रहे थे।
- निर्मला ने खेतों में दौड़कर अपनी जान बचाई।
- उन्होंने कहा, “पास वाली सीट पर एक विकलांग महिला थीं, उनका क्या हुआ, कुछ नहीं पता।”
- दयाशंकर का अनुभव:
आयुर्वेद विभाग में पत्नी के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए जा रहे दयाशंकर भी बस में सवार थे।- आग के गोले से बस घिर गई, और कांच टूटने लगे।
- खिड़की से कूदकर खेतों की ओर भागे।
- दयाशंकर ने कहा, “मोबाइल का अलार्म नहीं बजा होता, तो शायद हम भी बच नहीं पाते।”
- उन्होंने जलते हुए लोगों को सड़कों और खेतों में दौड़ते हुए देखा।
- कैलाश गरासिया की आपबीती:
उदयपुर के कैलाश गरासिया अपने परिवार के साथ जयपुर जा रहे थे।- ब्लास्ट होते ही आग के गोले उठे, कुछ समझ नहीं आया।
- उन्होंने कहा, “बस दिमाग में एक ही बात थी – भागो और जान बचाओ।”
- परिवार के साथ 200-300 मीटर तक भागकर किसी तरह जान बचाई।
निष्कर्ष:
इस हादसे के बाद चश्मदीदों की स्थिति बेहद खराब है। वे अब भी उस खौफनाक मंजर को नहीं भूल पा रहे हैं। यह हादसा उनकी यादों में हमेशा जिंदा रहेगा।