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राजस्थान में शहरी निकायों की सीमा बढ़ेगी, सरकार ने मांगे प्रस्ताव

शहरी क्षेत्रों के विस्तार की योजना
राजस्थान सरकार शहरी निकायों की सीमा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। स्वायत्त शासन विभाग ने सभी शहरी निकायों से इस संबंध में प्रस्ताव मांगे हैं।

विस्तार की जरूरत क्यों?

  • शहरों में आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं का दायरा मौजूदा सीमा से कई किलोमीटर दूर तक बढ़ गया है।
  • कई जगहों पर घनी आबादी बस चुकी है, लेकिन वहां शहर जैसी सुविधाएं नहीं हैं।
  • इसी को ध्यान में रखते हुए सीमा विस्तार के प्रस्ताव मांगे गए हैं।

अब तक 18 निकायों ने भेजे प्रस्ताव
राजस्थान में 300 से ज्यादा शहरी निकाय हैं, लेकिन केवल 18 निकायों ने अब तक सीमा विस्तार के प्रस्ताव भेजे हैं।

निकायों की आर्थिक स्थिति और चिंता

  • निकायों का तर्क: आर्थिक स्थिति कमजोर है। क्षेत्र बढ़ने से विकास कार्यों और सुविधाओं के लिए पैसा कहां से आएगा।
  • विभाग का दावा: नए क्षेत्रों में सरकारी जमीनें भी शामिल होंगी, जिनसे आय के नए साधन मिलेंगे। जैसे, लीज राशि और नगरीय विकास कर।

स्वायत्त शासन विभाग की सख्ती

  • विभाग ने निकायों को स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक मदद के लिए हर बार सरकार पर निर्भर न रहें।
  • बिना बजट के कार्यादेश जारी करने से बचने को कहा गया है।
  • अपनी आय बढ़ाने के लिए नए स्रोत खोजने पर जोर दिया गया है।

राजस्थान में शहरी निकायों की स्थिति

  • 10 नगर निगम: 855 सदस्य
  • 34 नगर परिषद: 1905 सदस्य
  • 169 नगरपालिकाएं: 5190 सदस्य

आर्थिक बदहाली का असर

  • तंगहाल निकाय अपनी आय के मुकाबले 70% तक धन नहीं जुटा पा रहे हैं।
  • सरकार से मिलने वाली सहायता भी जरूरत से कम है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

राजनीति चमकाने में व्यस्त
213 स्थानीय निकायों में 7950 पार्षद हैं, जिनकी जिम्मेदारी निकाय को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। लेकिन ज्यादातर सदस्य अपनी राजनीति चमकाने में व्यस्त रहते हैं, जिससे विकास कार्य पिछड़ रहे हैं।

आगे की राह
यदि निकाय अपनी आदतें नहीं बदलते, तो नए क्षेत्रों में भी बदहाली बनी रहेगी। उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे।

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