ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की मरघट (श्मशान) की जमीन को पटवारी और आरआई ने फर्जी तरीके से निजी जमीन बता दिया है। उनका कहना है कि वे कई सालों से इस जमीन का इस्तेमाल मरघट के रूप में कर रहे थे, लेकिन अब इस जमीन की बाउंड्री तोड़ने से वे आक्रोशित हैं।
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ नारेबाजी की। प्रशासन के आश्वासन के बाद ग्रामीण वहां से हटे और राष्ट्रीय राजमार्ग को फिर से खोला गया।