वन विभाग ने पहले सागौन के पेड़ों से गोंद निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन वर्तमान प्रभारी डीएफओ ने इस प्रतिबंध को हटा दिया और कुछ व्यापारियों को गोंद निकालने का लाइसेंस दे दिया। इस फैसले का विरोध हो रहा है, क्योंकि आरोप है कि पेड़ों पर इंजेक्शन लगाने से वे समय से पहले सूखने लगे हैं।
व्यापारी ज्यादा गोंद निकालने के लालच में पेड़ों की छाल निकालने, तने में कट लगाने और इंजेक्शन लगाने लगे थे, जिससे कई पेड़ टूटकर गिर गए। इसके बावजूद, सरकार ने गोंद निकालने की प्रक्रिया के लिए लाइसेंस जारी किए थे, और अब विवाद बढ़ गया है।
गांवों के समितियों और पर्यावरण के कुछ लोग इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इसके चलते पेड़ों और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। वन विभाग ने यह माना है कि पेड़ों को नुकसान हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद, वे इसे निगरानी में रखेंगे।