उन्होंने बिल्धई बुजुर्ग और मूडरी के खेतों में जाकर फसलों की स्थिति देखी। मटर, चना, मसूर की फसलों में फंगस पाया गया है और अन्य कारणों का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में जांच कराने की सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि फसलों में फंगस और उगरा की समस्या है। जौ की फसल का केवल ऊपरी हिस्सा सूखा हुआ है। जांच से ही यह पता चलेगा कि गैस का असर है या फिर पोषक तत्वों की कमी के कारण यह स्थिति बनी है।
कृषि विभाग के उप संचालक बीएस मालवीय ने बताया कि जबलपुर की प्रयोगशाला में इस जांच की कीमत 12,000 रुपये है, और यह किसान या रिफाइनरी प्रबंधन को करानी पड़ेगी।
किसान सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी फसलों का खराब होना रिफाइनरी से निकलने वाली गैस के कारण है, और पांच साल पहले भी ऐसा ही हुआ था।
ग्रामीणों ने बताया कि हर दिन पीली बूंदें भी गिर रही हैं, जो किसी केमिकल का असर हो सकता है। इन बूंदों के निशान वाहनों पर भी दिख रहे हैं, और इसकी भी जांच होनी चाहिए।