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दिल्ली चुनाव 2025: आप ने जो रास्ता दिखाया, उस पर दौड़ना चाह रही हैं कांग्रेस और बीजेपी

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार द्वारा “मुफ्त की रेवड़ी” बांटने का आरोप पहले बीजेपी और कांग्रेस लगाते थे, लेकिन अब दोनों दलों ने भी अपनी घोषणाओं में मुफ्त योजनाओं और सब्सिडी का वादा किया है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हमेशा “रेवड़ी बनाम जनकल्याण” एक प्रमुख मुद्दा बनता रहा है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 10 साल में लोगों को 36,855 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है। बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “मुफ्त की रेवड़ी” कहकर आलोचना की थी, लेकिन अब बीजेपी भी लोगों को मुफ्त योजनाओं का वादा कर रही है।

बीजेपी और कांग्रेस भी कर रही हैं मुफ्त की योजनाओं की घोषणाएँ

बीजेपी, जो पहले आम आदमी पार्टी के “फ्री” वादों की आलोचना करती थी, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह आश्वासन दिया है कि दिल्ली में चल रही कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी। बीजेपी ने यह महसूस किया कि आम आदमी पार्टी की मुफ्त योजनाओं का दिल्ली के वोटरों पर गहरा असर पड़ा है। बीजेपी ने अब अपने घोषणापत्र में इन योजनाओं का उल्लेख करने की योजना बनाई है और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को भी बिजली सब्सिडी देने का वादा किया है।

कांग्रेस ने भी महिलाओं को मासिक सहायता देने, 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने जैसे वादे किए हैं। कांग्रेस का यह वादा खासकर महिलाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्रित है। आम आदमी पार्टी भी महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज, और दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जैसी योजनाएं देने का वादा कर रही है।

आप की राह पर कांग्रेस और बीजेपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में चुनावी मुफ्तखोरी की आलोचना की थी और इसे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक बताया था। हालांकि, मोदी सरकार ने कोरोना काल में शुरू की गई मुफ्त राशन योजना को 2025 तक बढ़ाने का ऐलान किया है। बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें विभिन्न राज्यों में मुफ्त योजनाओं की घोषणा करती रही हैं, जैसे मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना, हरियाणा में बेरोजगार युवाओं को भत्ते का ऐलान, और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया गया है।

इन योजनाओं का आर्थिक प्रभाव

इन मुफ्त योजनाओं से राज्य के बजट पर भारी दबाव पड़ सकता है, क्योंकि इन योजनाओं को लागू करने से कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी योजनाएं राज्य की वित्तीय स्थिति को कमजोर कर सकती हैं। इसके अलावा, चुनावी वादे को वोट की खातिर रिश्वत की तरह देखा जा सकता है, जिससे चुनाव आयोग से इस पर सख्ती बरतने की मांग उठने लगी है।

दिल्ली चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस तीनों ही अपनी-अपनी योजनाओं के साथ चुनावी मैदान में हैं, लेकिन अब “मुफ्त की योजनाएं” एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन चुकी हैं।

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