
रींगस से सीकर, झुंझुनूं होते हुए लोहारू तक रेल लाइन का दोहरीकरण किया जाएगा। इससे ट्रेनें पहले से तेज चलेंगी और यात्रियों का समय बचेगा। साथ ही, अधिक ट्रेनों का संचालन संभव होगा।
172 किलोमीटर लंबा ट्रेक:
यह रेल ट्रेक 172 किलोमीटर लंबा होगा। अभी तक यह सिंगल लाइन है। दोहरीकरण के बाद अप लाइन और डाउन लाइन अलग-अलग होंगी, जिससे यात्री आसानी से जान सकेंगे कि कौनसी ट्रेन किस तरफ जाएगी। इस नई रेल लाइन को बिजली आधारित बनाने की योजना है।
सर्वे और अगली प्रक्रिया:
- फिलहाल, सर्वे का कार्य जारी है।
- सर्वे रिपोर्ट आने के बाद मंजूरी दी जाएगी।
- डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार होगी।
- बजट मिलने के बाद दोहरीकरण का कार्य शुरू होगा।
- नई लाइन पर ट्रेन चलाकर परीक्षण किया जाएगा और स्पीड तय की जाएगी।
भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं:
दोहरीकरण में भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं होगी क्योंकि रेलवे के पास पटरियों के पास पर्याप्त जगह होती है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
दोहरीकरण के फायदे:
- रेल लाइन की क्षमता बढ़ेगी और अधिक ट्रेनों का संचालन होगा।
- ट्रेनों की गति बढ़ने से समय की बचत होगी।
- मालगाड़ियों का परिवहन सस्ता और समय पर होगा।
- ईंधन की बचत और परिवहन की लागत कम होगी।
- क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
रेलवे अधिकारियों का बयान:
कैप्टन शशि किरण (सीपीआरओ, रेलवे) ने कहा कि 172 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के दोहरीकरण का सर्वे शुरू हो चुका है। इससे यात्रियों के साथ रेलवे को भी बड़े फायदे होंगे।