यह विवाद उस समय बढ़ा जब विशेष समुदाय के लोगों ने मंदिर की मूर्तियों को हटा कर मजार बना लिया। 20-25 साल पहले कुछ लोग यहां बस गए थे और धीरे-धीरे गांव में समस्याएं पैदा होने लगीं। जब टीले के ऊपर लगे जंगल को काटा गया, तो वहां मजार की जानकारी सामने आई। इसके बाद विशेष समुदाय के लोगों ने टीले पर अपनी कब्जेदारी जताई और पथराव भी किया।
मंत्री असीम अरुण ने कहा कि टीले का पुरातत्व विभाग से उत्खनन कराया जाएगा ताकि इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके। इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित किया जाएगा और अवैध खनन करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।