राजस्थान में अब बनने वाले मास्टर प्लान को ऐसा डिज़ाइन किया जाएगा कि आमजन ऑनलाइन देख सके कि किस क्षेत्र में कौन-सा विकास कार्य प्रस्तावित है। नई सड़कें, प्रोजेक्ट, पानी-बिजली की लाइन आदि की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी। इसके आधार पर आम लोग, बिल्डर, डवलपर और निवेशक अपनी योजना बना सकेंगे।
जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग अनिवार्य:
सभी मास्टर प्लान में अब जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (GIS) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। इससे प्रॉपर्टी सर्वे और विभागीय प्रोजेक्ट्स का समन्वय आसान हो जाएगा।
12 शहरों में काम शुरू, 38 नए निकायों का मसौदा तैयार:
नगर नियोजन विभाग ने 12 शहरों के मास्टर प्लान पर काम शुरू कर दिया है, वहीं 38 नए निकायों के लिए भी मसौदा तैयार हो रहा है।
12 शहर जहां काम शुरू:
डीडवाना, अनूपगढ़, पीलीबंगा, तिजारा, शाहपुरा, बाड़ी, डीग, फलौदी, आबू रोड, अंता, प्रतापगढ़।
38 नए निकाय जहां पहली बार बनेगा प्लान:
- अलवर: रैणी, मुंडावर, मालाखेड़ा, कठूमर, नौगांवा
- भीलवाड़ा: रानीपुर
- अजमेर: सावर
- टोंक: दूनी
- हनुमानगढ़: गोलूवाला
- करौली: मंडरायल
- दौसा: बसवा, रामगढ़ पचवारा, लवाण, भांडारेज, सिकराय
- जयपुर: दूदू, वाटिका, फागी
- झुंझुनूं: सिंघाना, पोंख
- जालोर: आहोर
- जोधपुर: बाप
- जैसलमेर: रामदेवरा
- बूंदी: देई, हिंडोली
- कोटा: सुकेत
- बारां: सीसवाली
- सवाई माधोपुर: वीजरपुर, खिरनी
- राजसमंद: भीम
- उदयपुर: सलूम्बर, खेरवाड़ा, सारदा, वल्लभनगर, मावली
- चित्तौड़गढ़: अकोला
- प्रतापगढ़: दालोत
- डूंगरपुर: सीमलवाड़ा
- बांसवाड़ा: घाटोल
15 निकायों का होगा अपग्रेड:
केंद्र सरकार की फंडिंग से 15 निकायों का अपग्रेड किया जाएगा। इनमें केकड़ी, निवाई, गुलाबपुरा, मकराना, नसीराबाद, कुचामन सिटी, लाडनूं, देवली, बांदीकुई, चाकसू, लालसोट, दौसा, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़ और बयाना शामिल हैं।
मास्टर प्लान क्यों जरूरी:
- शहर के विकास की नीति और प्लानिंग के लिए
- रोड, ट्रांसपोर्ट, हाउसिंग और मनोरंजन के लिए स्थान तय करने हेतु
- जन सुविधाओं और इकोलॉजिकल संरक्षण के लिए
आउटसोर्सिंग पर सवाल:
नगर नियोजन विभाग के पास विशेषज्ञों की टीम होने के बावजूद इस कार्य को आउटसोर्स किया जा रहा है। इससे गोपनीयता भंग होने की आशंका है। यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए ठेकेदार कंपनियों पर क्या शर्तें लगाई गई हैं।