मांगीराम के चार बेटियां हैं, जिनमें से दो ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं, और तीसरी अभी तैयारी कर रही है। मांगीराम ने अपने खेत में ही बेटियों को दौड़ने की ट्रेनिंग दी। जब खेत में दौड़ने में परेशानी आई, तो गांव के जोहड़ में ट्रैक्टर से ट्रैक बना दिया। अब उनकी बेटियां झुंझुनूं के स्वर्ण जयंती स्टेडियम में कोच अनिल भाकर और सुरेन्द्र के नेतृत्व में तैयारी कर रही हैं, और पूजा दिल्ली में अपनी ट्रेनिंग कर रही है।
मंजू और पूजा ने बताया कि जब वे छोटी थीं, तो उनकी मां का निधन हो गया था, लेकिन पिता ने कभी भी उन्हें मां की कमी महसूस नहीं होने दी। वह अपनी पूरी कमाई पढ़ाई और खेलों पर खर्च कर रहे हैं। मांगीराम का कहना है, “हमारी छोरियां, छोरां से कम नहीं हैं।”
पूजा, जो सबसे बड़ी बेटी है, ने स्कूल स्तर पर पदक जीते थे। वह पांच किमी रेस में राजस्थान की चैम्पियन रही हैं और सशस्त्र सीमा बल (SSB) में खिलाड़ी कोटे से चयनित हो चुकी हैं। अब वह एसएसबी की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर दौड़ में भाग ले रही हैं।
मंजू ने हाल ही में भुवनेश्वर में नेशनल लेवल प्रतियोगिता में 1500 मीटर दौड़ में कांस्य पदक और तीन किमी की स्टीपल चेस में रजत पदक जीते। जयपुर में हुई राजस्थान क्रोस कंट्री प्रतियोगिता में उसने छह किमी की दौड़ में स्वर्ण पदक भी जीता। अब वह खेलो इंडिया नेशनल गेम्स की तैयारी कर रही है।
चौथी बेटी मुस्कान भी दोनों बहनों से प्रेरित होकर एथलेटिक्स की तैयारी कर रही है, जबकि प्रियंका की शादी हो चुकी है।
मंजू की तैयारी अच्छी चल रही है, और उम्मीद है कि वह राष्ट्रीय खेलों और खेलो इंडिया में पदक जीतकर लौटेगी।