तकनीकी विकास पर जोर
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि संसद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके दस्तावेजों को 10 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र लोकतंत्र है जो अधिकतम भाषाओं में अनुवाद करने की दिशा में बढ़ रहा है।
ओम बिरला ने कहा कि संसद की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए मेटाडेटा और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। संसद में “संसद भाषिणी” जैसे AI टूल्स विकसित किए गए हैं, जिन्हें राज्यों की विधानसभाओं के साथ भी साझा किया जाएगा, ताकि वहां भी डिजिटलीकरण से कार्य क्षमता और उत्पादकता में सुधार हो सके।
पटना में नवाचारों की चर्चा
पटना में बिहार विधानमंडल परिसर में नेवा सेवा केंद्र का उद्घाटन करते हुए बिरला ने कहा कि विधानसभाओं में नई तकनीकों और नियमों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पटना की धरती पर यह संकल्प लिया गया है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पुराने रिकॉर्ड और चर्चाओं का डिजिटल रूप से उपयोग करने से सदस्य बेहतर संवाद कर सकेंगे। इससे विकसित भारत के निर्माण में लोकतांत्रिक संस्थाएं अहम भूमिका निभा सकेंगी।
लोकसभा अध्यक्ष का संकल्प
ओम बिरला ने कहा कि भारत की विधानसभाओं में नवाचार और पारदर्शिता लाने के लिए पटना में हुए इस सम्मेलन से नए विचार और समाधान सामने आए हैं। सम्मेलन में सदस्यों ने अपने अनुभव और नवाचारों को साझा किया, जो आगे जाकर पूरे देश की विधानसभाओं में लागू किए जाएंगे।
जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी
बिरला ने कहा कि सदनों में वास्तविक मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और कानून बनाने की प्रक्रिया में गतिरोध नहीं आना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कार्यपालिका की नीतियों की समीक्षा होनी चाहिए ताकि शासन को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जा सके।
उन्होंने इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह और सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।
निष्कर्ष
इस सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ने विधानसभाओं की कार्यकुशलता और उत्पादकता को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग, पारदर्शिता और सदस्यों की कार्यक्षमता बढ़ाने से लोकतांत्रिक संस्थाएं जनता के प्रति और अधिक जवाबदेह बनेंगी।