दुकानदारों का कहना है कि लोग खुद थैलियों में सामान की मांग करते हैं, जिससे वे थैली देने के लिए मजबूर हैं। वहीं, 10 हजार हाथ ठेले वाले हैं, जिनमें से लगभग 6 हजार पंजीकृत हैं। इन्हें रोजाना एक किलो प्लास्टिक बैग मिलते हैं।
इससे पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्लास्टिक की थैलियां स्वास्थ्य के लिए भी खतरे का कारण बन सकती हैं। प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं, और पशु इन थैलियों का सेवन करने से मर सकते हैं।
भीलवाड़ा नगर निगम ने हाल ही में कुछ प्लास्टिक बैग जब्त किए थे, लेकिन अभी तक किसी व्यापारी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। इस पर कार्रवाई के लिए नगर निगम को सख्ती से कदम उठाने की जरूरत है।
रोजाना थैलियों की खपत इस प्रकार है:
- फल विक्रेताओं के ठेलों पर एक लाख कैरी बैग
- चाय की थड़ियों पर एक लाख कैरी बैग
- सब्जी विक्रेताओं के यहां एक लाख थैलियां
- चाट और पकौड़ी की दुकानों पर 50 हजार बैग
- डेयरी बूथ और दुकानों पर 50 हजार बैग
- किराना दुकानों पर 3 लाख बैग