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प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (पीएमएफएमई) योजना: छोटे उद्यमियों के लिए बड़ी मदद

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (पीएमएफएमई) योजना, सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को सशक्त और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए चलाई जा रही है। यह योजना ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ओडीओपी) के तहत छोटे और मध्यम खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को सहायता देती है। इस योजना का उद्देश्य छोटे उद्यमियों, सहकारी समितियों, स्व-सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओएस) को विभिन्न लाभ प्रदान करना है।

योजना के प्रमुख लाभ:

  1. आर्थिक सहायता: पात्र खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को पूंजी निवेश के लिए 35% तक की क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी मिलती है, जिसकी सीमा 10 लाख रुपये तक हो सकती है।
  2. तकनीकी उन्नयन: छोटे उद्योगों को नवीनतम तकनीकों और उपकरणों को अपनाने में मदद मिलती है, जिससे गुणवत्ता और क्षमता में सुधार होता है।
  3. ब्रांडिंग और मार्केटिंग: ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत चयनित उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ब्रांडिंग और प्रमोशन के लिए सहायता दी जाती है।
  4. क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: उद्यमियों और उनके कर्मचारियों को आधुनिक तकनीकों, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
  5. आसान ऋण सुविधा: ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से समन्वय किया जाता है, और ऋण पर सब्सिडी दी जाती है।
  6. सामुदायिक स्तर पर सहायता: इस योजना के तहत भंडारण, कोल्ड स्टोरेज और अन्य बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास में भी सहायता की जाती है।
  7. स्थानीय रोजगार सृजन: यह योजना स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराती है।
  8. प्रमाणन: खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को एफएसएसएआइ जैसे आवश्यक प्रमाणन प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ती है।
  9. डीआरपी: योजना के कार्यान्वयन में जिला संसाधन व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो स्थानीय उद्यमियों को आवेदन, दस्तावेजीकरण और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

वित्तीय दृष्टिकोण से लाभ:

  • यह योजना कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु उद्योग, और एमएसएमई को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • पूंजी लागत में कमी और उत्पादन की लागत में सुधार होता है।
  • ऋण पर सब्सिडी और ब्रांडिंग सहायता से प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है।
  • नई तकनीकों को अपनाने से उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार होता है।

– मोहित धमोड़, सीए

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