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एमपी के सुरेंद्र: फिल्मों के गांधी, 15 बार निभाया बापू का किरदार

आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है, ऐसे में उनके विचारों और आदर्शों को अपनाने वाले सुरेंद्र राजन का नाम चर्चा में आता है। मध्य प्रदेश के अजयगढ़ (पन्ना) में जन्मे सुरेंद्र राजन ने 15 फिल्मों में महात्मा गांधी का किरदार निभाया है। उनकी कद-काठी, आवाज और चेहरा गांधीजी से काफी मिलता-जुलता है, जिसके कारण उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, मलयालम और रूसी फिल्मों में बापू का किरदार निभाने का मौका मिला।

फिल्मों में कैसे पहुंचे सुरेंद्र राजन?

सुरेंद्र राजन ने मुन्ना भाई एमबीबीएस में सफाई कर्मचारी मकसूद का किरदार भी निभाया था। उनका जन्म 19 जुलाई 1939 को हुआ था। बचपन से ही कला और फोटोग्राफी में रुचि रखने वाले सुरेंद्र एक प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और पेंटर भी हैं।

उनकी फिल्मों में एंट्री एक संयोग से हुई। जब एक मैगजीन में उनकी फोटो छपी और उनकी तुलना महात्मा गांधी से की गई, तब से उनके लिए फिल्मों के दरवाजे खुल गए।

गांधी के किरदार की शुरुआत

सुरेंद्र राजन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली में फोटोग्राफी डिपार्टमेंट के प्रमुख थे। आजादी की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में गांधीजी का किरदार निभाने के लिए उन्हें बुलाया गया। वहां से उन्होंने यह किरदार निभाना शुरू किया।

पहली फिल्म और अन्य किरदार

सुरेंद्र राजन ने पहली बार 2002 में “द लीजेंड ऑफ भगत सिंह” में गांधी का किरदार निभाया। इसके बाद वे मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, फंस गए रे ओबामा, मर्डर 2, बच्चन पांडे और हाल ही में वेब सीरीज “घोस्ट ऑफ गांधी” में भी नजर आए।

गांधीजी के विचारों को अपनाया

गांधी का किरदार निभाने के लिए सुरेंद्र राजन ने कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में देखीं और किताबें पढ़ीं। शूटिंग के दौरान कई बार उन्हें ऐसा लगा जैसे वे खुद गांधीजी हैं। उनका मानना है कि गांधी को फिल्मों में सही तरह से नहीं दिखाया जाता और उनके विचारों को समझने के लिए गहराई से अध्ययन करना जरूरी है।

गांधी का प्रभाव

सुरेंद्र राजन कहते हैं कि गांधी के विचारों का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है और वे हमेशा उनके बताए रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं।

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