महाकुंभ की ऐतिहासिक महिमा पर चर्चा
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्म श्री हृदय नारायण दीक्षित ने महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की महान धरोहर है। इस अवसर पर कई प्रसिद्ध हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
साहित्य, संस्कृति और कला का संगम
कार्यक्रम में कला, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया गया। हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि महाकुंभ हमारी परंपराओं को जीवित रखने का एक माध्यम है। उन्होंने इसे भारतीय समाज की विविधता और समृद्धि का प्रतीक बताया।
प्रमुख अतिथियों का योगदान
इस कार्यक्रम में विधानसभा सदस्य ओ.पी. श्रीवास्तव और डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य करता है। इसके अलावा, रिंकल शर्मा ने एक नाटक प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक आयोजन
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और साहित्य से जोड़ना था। कार्यक्रम का संयोजन पत्रकार अमिताभ नीलम ने किया, जिन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से युवा अपनी जड़ों को समझ पाते हैं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की प्रेरणा लेते हैं।
कवियों की शानदार प्रस्तुति
कार्यक्रम में कवियों ने महाकुंभ की महिमा पर सुंदर रचनाएँ प्रस्तुत कीं:
- हास्य कवि पंकज प्रसून ने अपनी कविता से सबको हँसाया।
- शिखा श्रीवास्तव ने महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाया।
- राजेश श्रीवास्तव ने भावनात्मक कविताएँ प्रस्तुत कीं, जो श्रोताओं के दिलों को छू गईं।
- कात्यानी सिंह, सौरभ त्रिपाठी और अन्य कवियों ने भी अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
महाकुंभ 2025 का सांस्कृतिक महत्व
यह आयोजन धार्मिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत खास था। इसमें राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक संवाद और युवा सृजन को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।