महाकुंभ में न केवल आम लोग बल्कि प्रसिद्ध कलाकार भी शामिल हुए। सौरभ राज जैन ने ‘गीता उत्सव’ में भाग लिया, जो मेला क्षेत्र के सेक्टर-9 स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के शिविर में हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भगवद्गीता के ज्ञान को सरल और समझने योग्य बनाना था।
कृष्ण-अर्जुन पॉडकास्ट में युवाओं की समस्याओं पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान, सौरभ राज जैन और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज जी की शिष्या, साध्वी तपेश्वरी भारती जी ने ‘कृष्ण-अर्जुन पॉडकास्ट’ में युवाओं की समस्याओं पर चर्चा की। सौरभ ने युवाओं को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और मुस्कान के साथ जीने की प्रेरणा दी।
गीता के सिद्धांतों को वैज्ञानिक तरीके से समझाया
इस पॉडकास्ट में साध्वी तपेश्वरी भारती जी ने गीता के सिद्धांतों को वैज्ञानिक और रोचक तरीके से समझाया। उन्होंने बताया कि सफलता और असफलता दोनों को ईश्वरीय प्रकाश से जोड़कर देखना चाहिए। गीता के श्लोक “यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा…” का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हर सफलता भगवान के दिव्य प्रकाश से ही संभव होती है।
गीता का मनोविज्ञान सत्र
‘गीता का मनोविज्ञान’ सत्र में साध्वी डॉ. निधि भारती जी ने चंचल मन को स्थिर करने के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि मन को श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर ही उसे स्थिर और उन्नत किया जा सकता है, जैसा कि भगवद्गीता में कहा गया है— “मामेकं शरणं व्रज”।
ब्रज की होली और हरि कीर्तन
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति ‘होली के रंग, हरि कीर्तन के संग’ थी, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने ब्रज शैली में फूलों की होली खेली। इस अवसर पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की संगीत टीम ने फ्यूजन शैली में हरि-कीर्तन प्रस्तुत किया, जिससे सभी कृष्ण भक्त आनंदित हो गए और झूमने पर मजबूर हो गए।