मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में आधार अपडेशन और जन्म प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। ग्रामीण इलाकों के लोग और आदिवासी आधार कार्ड अपडेशन के लिए आधार केन्द्रों पर जाते हैं, जहां केन्द्र संचालक उन्हें मोटी रकम लेकर 15 मिनट में जन्म प्रमाण पत्र बना कर दे देते हैं। इस प्रक्रिया में सरकारी अस्पतालों की सील और डॉक्टर के हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किए जा रहे हैं। पत्रिका की टीम ने इस फर्जीवाड़े को अपने स्टिंग ऑपरेशन में कैद किया है।
15 मिनट में बना दिया जन्म प्रमाण पत्र
पत्रिका की टीम ने गांधी स्टेडियम के पास एक आधार केन्द्र पर स्टिंग ऑपरेशन किया। वहां, एक व्यक्ति उमेश सिंह, जो पुष्पराजगढ़ के खरसोल का रहने वाला था, अपने आधार कार्ड का अपडेट कराने गया था। केन्द्र संचालक ने उससे जन्म प्रमाण पत्र की मांग की और फिर 600 रुपए लेकर महज 15 मिनट में जन्म प्रमाण पत्र तैयार कर दिया। उमेश को प्रमाण पत्र देने से पहले केन्द्र संचालक ने 600 रुपए नकद ले लिए।
फर्जी सील और हस्ताक्षर का खुलासा
पत्रिका की टीम ने यह भी पाया कि आधार केन्द्र संचालक गोहपारू बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) की फर्जी सील और हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर आधार अपडेट कर रहे थे। फार्म पर किए गए फर्जी सील और हस्ताक्षर की दूसरी प्रति हितग्राही को नहीं दी जाती थी और इसके बदले भी पैसे लिए जाते थे। इस तरह से विभिन्न सरकारी अस्पतालों की सील और हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था।
जिम्मेदारों की प्रतिक्रिया
- डॉ. आरके शुक्ला (पूर्व बीएमओ गोहपारू): “मैंने अपने सील किसी को नहीं दिए हैं। अगर कोई इसका गलत इस्तेमाल कर रहा है, तो मैं एफआईआर दर्ज कराऊंगा।”
- डॉ. राजेश मिश्रा (सीएमएचओ): “आधार केन्द्रों से जन्म प्रमाण पत्र बनाना गलत है और इसमें डॉक्टर का हस्ताक्षर कानूनी रूप से सही नहीं है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।”
- रामजी श्रीवास्तव (पुलिस अधीक्षक, शहडोल): “आधार केन्द्रों की निगरानी पुलिस नहीं करती। अगर शिकायत आती है तो हम कार्रवाई करेंगे।”
यह फर्जीवाड़ा शहडोल जिले में कई आधार केन्द्रों पर चल रहा है, और इसकी जांच की आवश्यकता है।