मरीजों की परेशानी
- नदया विक्रमपुर निवासी आशाराम पटेल ने बताया कि पर्चा बनवाने के बाद तीन घंटे तक इंतजार किया, लेकिन डॉक्टर नहीं आए।
- छतरपुर की रेखा रैकवार ने कहा कि वह सुबह 11:30 बजे आईं, लेकिन डॉक्टर चैंबर से चले गए और दोबारा नहीं लौटे।
- पलेरा निवासी सुनील पटेल ने बताया कि पैर में तकलीफ थी, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले और बिना इलाज लौटना पड़ा।
- रगोली की यशोदा अपने बच्चे के टूटी हुई हाथ का इलाज कराने आईं, लेकिन डॉक्टर दो घंटे तक नहीं लौटे।
डॉक्टरों की अनुपस्थिति का कारण
लंच के बाद अधिकतर डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक में चले जाते हैं, जिससे ओपीडी में मरीजों को डॉक्टर नहीं मिलते। इससे दूर-दराज से आने वाले मरीजों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो जाता है।
अस्पताल प्रशासन का बयान
जिला अस्पताल प्रशासन ने कहा कि डॉक्टरों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा की जा रही है। अस्पताल के सिविल सर्जन ने बताया कि इस मुद्दे पर बैठक हो चुकी है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।
मरीजों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
छतरपुर और आसपास के छोटे गांवों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए लोग जिला अस्पताल पर निर्भर रहते हैं। लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उन्हें इलाज नहीं मिल पाता। मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
क्या करना चाहिए?
डॉक्टरों की अनुपस्थिति की समस्या को जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। अस्पताल प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि लंच के बाद भी मरीजों को सही समय पर इलाज मिल सके।