शोध में यह पाया गया कि मुंह के बैक्टीरिया रक्त में प्रवेश कर सकते हैं और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, ये बैक्टीरिया शरीर में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे नाइट्रेट का नाइट्रिक ऑक्साइड में रूपांतरण कम हो जाता है। यह नाइट्रिक ऑक्साइड मस्तिष्क के संचार और याददाश्त के लिए जरूरी होता है।
शोधकर्ता डॉ. जोआना लेहुरेक्स के अनुसार, “हमारे अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बैक्टीरिया उम्र के साथ मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि दांतों की नियमित जांच और बैक्टीरिया के स्तर की निगरानी से मस्तिष्क स्वास्थ्य में गिरावट के शुरुआती संकेतों का पता चल सकता है।
इस अध्ययन में 50 वर्ष से ऊपर के 110 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। शोध में पाया गया कि प्रेवोटेला बैक्टीरिया का नाइट्राइट के निम्न स्तरों से संबंध पाया गया, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। यह बैक्टीरिया उन लोगों में अधिक पाया गया, जिनमें अल्जाइमर रोग का जोखिम जीन एपीओई4 मौजूद था।
अध्ययन से यह भी सामने आया कि मुंह में “नीसेरिया” और “हेमोफिलस” बैक्टीरिया की संख्या अधिक होने से याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बेहतर रहती है। वहीं, “पोर्फिरोमोनास” बैक्टीरिया की अधिकता वाले व्यक्तियों में याददाश्त संबंधी समस्याएं अधिक पाई गईं।
इस शोध से यह सुझाव मिलता है कि आहार में बदलाव, प्रोबायोटिक्स, मौखिक स्वच्छता की दिनचर्या या लक्षित उपचार से डिमेंशिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
नोट: इस जानकारी का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना है। यह किसी मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी उपचार या दवा को अपनाने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लें।