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CBSE परीक्षा में बेटियां बेटों से आगे: सफलता की वजह जानिए

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की परीक्षाओं में छात्राओं का प्रदर्शन लगातार छात्रों से बेहतर हो रहा है। पिछले 25 सालों से छात्राओं के नतीजे हर साल 1 से 3 प्रतिशत अधिक आ रहे हैं। इसके पीछे कई पारिवारिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं।

बेटियां अपनी उपेक्षा को बनाती हैं ताकत

  • घर के कामों के बावजूद जब मां को ताने मिलते हैं, तो बेटियां इससे सीख लेकर पढ़ाई पर ध्यान देती हैं
  • उन्हें यह डर रहता है कि करियर सेट नहीं हुआ तो जल्दी शादी करा दी जाएगी
  • माता-पिता द्वारा भाई को अधिक तवज्जो देने से वे मेहनत करके खुद को साबित करने में जुट जाती हैं

लड़कियों की याददाश्त होती है बेहतर

  • वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि लड़कियों में दो X क्रोमोसोम होते हैं, जो उन्हें धैर्यवान और संतुलित बनाते हैं।
  • उनकी याददाश्त जन्मजात अच्छी होती है, जिससे वे पढ़ाई में लड़कों से आगे रहती हैं।

सरकारी योजनाओं से मिली मदद

  • केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा योजनाओं, स्कॉलरशिप और जागरूकता अभियानों ने छात्राओं को आगे बढ़ने में मदद की है।
  • स्कूल-कॉलेजों में बेटियों के नामांकन बढ़े हैं, जिससे वे उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रही हैं।

टॉपर्स की राय

  • पूर्व CBSE टॉपर प्रियांशी के अनुसार, स्कॉलरशिप, योजनाबद्ध तैयारी और नोट्स बनाकर पढ़ाई करने से सफलता आसान हो जाती है
  • प्रो. महेंद्र जैन (मनोविज्ञान विशेषज्ञ) का कहना है कि लड़कियां स्वाभाविक रूप से प्रबंधन में अच्छी होती हैं और वे पढ़ाई व करियर को लेकर ज्यादा गंभीर रहती हैं

प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बेटियों का दबदबा

  • RAS-2016 में महिला अभ्यर्थियों का चयन 37.9% था, जबकि 2021 में यह बढ़कर 47% हो गया।
  • राजस्थान में पिछले 15 सालों में छात्राओं का रिजल्ट 99% तक पहुंच गया, जबकि छात्रों का अधिकतम 96.5% रहा।

निष्कर्ष

बेटियां समय प्रबंधन, मेहनत और आत्मनिर्भरता के बल पर परीक्षाओं में बेटों से आगे निकल रही हैं। सरकारी मदद, पारिवारिक सीख और उनकी जिद व लगन उन्हें सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है। 📚🎓

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