छत्तीसगढ़ में दलहन की खेती का विस्तार
🔹 राजनांदगांव, बस्तर, कोरबा, कवर्धा और बेमेतरा जैसे जिलों में काला चना, अरहर, मूंग और मसूर की खेती हो रही है।
🔹 दलहन फसलों की जड़ों में मौजूद राइज़ोबियम बैक्टीरिया मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, जिससे कम खाद में भी अच्छी पैदावार होती है।
कोरबा में दलहन खेती को बढ़ावा
सरकार की योजनाओं के तहत कोरबा जिले में दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
✅ पोड़ी उपरोड़ा और पाली विकासखंड में 367 एकड़ जमीन पर प्रदर्शन खेती की जाएगी।
✅ किसानों को मुफ्त बीज और सिंचाई सुविधाएं मिलेंगी।
✅ कृषि विभाग मसूर और अन्य दलहनी फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रहा है।
दलहन की बढ़ती कीमतें और किसानों के लिए अवसर
📌 तूवर दाल: ₹145 प्रति किलो
📌 मूंग दाल: ₹112 प्रति किलो
📌 सनफ्राइड यलो मूंग मोगर: ₹114 प्रति किलो
➡️ व्यापारी संजीत गोयल के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में दलहन की कीमतें स्थिर रही हैं, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है।
➡️ महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश से बड़ी मात्रा में दालें छत्तीसगढ़ में आती हैं, जिससे बाजार में दालों की उपलब्धता बनी रहती है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में दलहन की खेती न केवल किसानों की आमदनी बढ़ा रही है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी सुधार रही है। सरकार और कृषि विभाग के प्रयासों से भविष्य में प्रदेश में दलहन उत्पादन और भी बढ़ सकता है।