अन्नपूर्णा धाम कोदोरास की पौराणिक कथा
अन्नपूर्णा धाम छत्तीसगढ़ के कुरूद से 35 किमी और भखारा से 15 किमी दूर स्थित है। यह स्थान खारून नदी के तट पर बसा है।
कहा जाता है कि बहुत साल पहले यहां अकाल पड़ा था। तब गांव के एक किसान को माता अन्नपूर्णा के दर्शन हुए और उन्होंने उसे अन्न का बीज दिया। माता के आशीर्वाद से गांव में अच्छी बारिश हुई, और किसान ने अपनी कोदो फसल उगाई। जब उसने फसल नापनी चाही, तो कोदो खत्म ही नहीं हुआ। गुस्से में उसने नापने के काठा को लात मार दी और अगले दिन वह पत्थर बन गया। इसके बाद लोगों को माता अन्नपूर्णा की महिमा का एहसास हुआ।
बाबा गोरखनाथ ने बनवाया मंदिर
साल 1990-91 में गोरखपुर से आए बाबा गोरखनाथ यहां रहने लगे। उन्होंने गांव वालों से भिक्षा लेकर मंदिर बनवाया, जिसमें भगवान विष्णु, माता अन्नपूर्णा और लक्ष्मी माता की मूर्तियां स्थापित की गईं।
इसके बाद से हर साल माघी पूर्णिमा पर मेला लगने लगा। श्रद्धालु खारून नदी में स्नान कर भगवान के दर्शन और मनोकामना ज्योत जलाते हैं।
मंदिर और मेले की खास बातें
- मंदिरों का निर्माण – महाप्रभु जगन्नाथ, हनुमान, शनिदेव, माता शीतला, श्रीकृष्ण, श्रीराम, दुर्गा माता और बूढ़ा देव के मंदिर बनाए गए हैं।
- सजावट – मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
- दुकानें और मनोरंजन – मेले में दुकानों के साथ झूले और मनोरंजन के कई साधन होंगे।
- रात्रिकालीन कार्यक्रम – सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
- सुरक्षा व्यवस्था – प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
श्रद्धालुओं के लिए खास मौका
अगर आप माघी पूर्णिमा के अवसर पर अन्नपूर्णा धाम कोदोरास जाना चाहते हैं, तो यह धार्मिक और मनोरंजन दोनों का बेहतरीन अवसर हो सकता है।