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भिलवाड़ा न्यूज: छह अधिकारियों की लापरवाही से नहीं बन पाया ओवरब्रिज, जिंदल को मिला फायदा

भिलवाड़ा में जिंदल सॉ लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित ओवरब्रिज छह अधिकारियों की लापरवाही के कारण नहीं बन पाया। इनकी वजह से ओवरब्रिज पर खर्च होने वाले 30 करोड़ रुपये का सही उपयोग भी नहीं हो सका। पत्रिका की जांच में सामने आया कि एनजीटी ने कलक्टर से अंडरपास की समीक्षा करने को कहा था, और अधिकारियों ने ओवरब्रिज की बजाय तीन अंडरपास बनाने की सहमति दे दी, जिससे जिंदल को फायदा मिल गया।

कौन-कौन थे जिम्मेदार अधिकारी
5 दिसंबर 2017 की बैठक में शामिल अधिकारी: अजमेर रेलवे के महेशचंद मीणा, नगर विकास न्यास सचिव आशीष कुमार शर्मा, आयुक्त रविन्द्रसिंह, जिंदल प्रतिनिधि राजेन्द्र गौड, अधिशासी अभियंता योगेश माथुर और सहायक अभियंता अखेराम बडोदिया। इन सभी ने तीन अंडरपास की मंजूरी दी, जिससे शहर को ओवरब्रिज से वंचित रहना पड़ा।

घटनाक्रम की प्रमुख तिथियां:

कैसे बदला मामला:

इस पूरी प्रक्रिया में अधिकारियों की लापरवाही के कारण भिलवाड़ा को ओवरब्रिज नहीं मिल सका।

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