पानी बचाने का संदेश
जल सहेलियों ने बताया कि अगर हर गांव की महिलाएं पानी बचाने का संकल्प लें, तो कोई भी घर प्यासा नहीं रहेगा। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए कि कैसे उनके प्रयासों से सूखे तालाब, कुएं और नदियां फिर से जीवित हो गईं। जल सहेली माया ने कहा कि जल स्रोतों को बचाना सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन बचाने जैसा है। महिलाओं की भागीदारी पानी की समस्या को हल करने में बहुत जरूरी है।
जल संरक्षण पर फिल्में
यात्रा के दौरान जल सहेलियों के प्रयासों पर बनी दो फिल्मों का जिक्र किया गया। ‘सिस्टम ऑफ अर्थ’ फिल्म में जल सहेलियों के संघर्ष और योगदान को दिखाया गया है, जो बुंदेलखंड में पानी की समस्या और उसके समाधान को उजागर करती है। इन फिल्मों के जरिए लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
पुरानी परंपराओं का महत्व
जल सहेली राम जानकी ने ‘कुआं पूजन’ परंपरा के बारे में बताया कि पुराने समय में लोग जल स्रोतों का सम्मान करते थे, जिससे वे लंबे समय तक सुरक्षित रहते थे। यात्रा के दौरान विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को जल स्रोतों के पुनर्जीवन, जैविक खेती और मृदा परीक्षण के बारे में भी जानकारी दी।
इस यात्रा में पूर्व विधायक पृथ्वीपुर डॉ. शिशुपाल यादव, सुनील शुक्ला और अन्य लोग भी शामिल हुए।