क्या है मामला?
- महेश चंद्र तिवारी को 1996 में विधि अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिली थी।
- 1999 में उन्हें वाणिज्यिक कर विभाग में शामिल किया गया।
- सरकार ने उन्हें तीन वित्तीय उन्नयन देने से मना कर दिया।
- 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद तिवारी ने अदालत में याचिका दायर की।
- उनका कहना था कि वेतन आयोग के संशोधन को अधिकारियों ने वित्तीय उन्नयन मान लिया और उन्हें इसका लाभ नहीं दिया।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
- हाईकोर्ट ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी –
- एसीएस (सामान्य प्रशासन)
- पीएस (वाणिज्यिक कर)
- सचिव (वित्त)
- सचिव (सामान्य प्रशासन)
इन अधिकारियों को यह तक पता नहीं कि चौथे वेतन आयोग में 2200-4000 रुपये का वेतनमान, पांचवें वेतन आयोग में 8000-13500 रुपये में संशोधित किया गया था।
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ वेतन संशोधन था, न कि वित्तीय उन्नयन।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब सरकार को दो महीने में आदेश का पालन करना होगा और महेश चंद्र तिवारी को उनका बकाया वेतन और पेंशन का एरियर देना होगा।