कैसे हुई ईवीएम की सुरक्षा?
- मतदान के बाद ईवीएम मशीनों को बेमेतरा कृषि उपज मंडी परिसर में बनाए गए स्ट्रांग रूम में सीलबंद किया गया।
- शटर बंद करने के बाद उस पर सील लगाई गई और फिर बाहर से ईंट-सीमेंट से दीवार खड़ी कर मशीनों को ‘चुन’ दिया गया।
- अब यह दीवार 15 फरवरी को मतगणना से पहले तोड़ी जाएगी।
पहले भी हो चुका है ऐसा
- साल 2018 के चुनाव में भी ईवीएम की सुरक्षा के लिए इसी तरह दीवार बनाकर उसे बंद किया गया था, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।
- इस बार फिर 8 साल बाद वही तरीका अपनाया गया है।
स्ट्रांग रूम की कड़ी सुरक्षा
- स्ट्रांग रूम के बाहर पुलिस जवान तैनात किए गए हैं और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है।
- 21 वार्डों और 09 नगर पंचायतों की ईवीएम को इसी तरह सील कर सुरक्षित रखा गया है।
मतदान दलों ने निभाई जिम्मेदारी
- मतदान के बाद सभी मतदान दलों ने रात 10 बजे तक ईवीएम को स्ट्रांग रूम में जमा कराया।
- कलेक्टर रणबीर शर्मा और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में ईवीएम को सील किया गया।
15 फरवरी को खुलेगा स्ट्रांग रूम
- मतगणना के दिन 15 फरवरी को दीवार तोड़ी जाएगी और उसी दिन ईवीएम को खोला जाएगा।
- उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि भी स्ट्रांग रूम के बाहर पहरा दे सकते हैं, बशर्ते वे तय प्रक्रिया पूरी करें।
ईवीएम की सुरक्षा क्यों जरूरी?
- यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि चुनाव परिणाम घोषित होने तक ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित रहे।
- इससे चुनाव की पारदर्शिता बनी रहती है और लोकतंत्र में लोगों का भरोसा मजबूत होता है।
बेमेतरा में ईवीएम को दीवार में चुनने की यह घटना एक बार फिर चर्चा में है, और इसे देख मुगल-ए-आजम की अनारकली की याद ताजा हो गई है!