दवाओं की कमी से जूझ रहे अस्पताल
- अधिकतर यूनानी अस्पतालों में लंबे समय से दवाओं की भारी कमी है।
- दवाएं आने में अभी भी करीब 2 महीने और लग सकते हैं।
- 100 तरह की दवाएं सरकारी स्तर पर अस्पतालों में आती हैं, जिनमें से 20-25 दवाएं अजमेर की रसायनशाला में बनती हैं और बाकी 50 दवाएं इंडियन मेडिसिन फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPC) से खरीदी जाती हैं।
पाली का यूनानी अस्पताल ढाई साल से बंद
- पाली शहर के बांगड़ अस्पताल में स्थित यूनानी डिस्पेंसरी 30 जून 2022 से ढाई साल से बंद है।
- प्रदेश के कई जिलों में भी यूनानी डिस्पेंसरी बंद पड़ी हैं।
कम बजट, बड़ी समस्या
- यूनानी दवाओं के लिए प्रदेश भर में 2.50 करोड़ रुपए का बजट आता है, जिसकी प्रक्रिया जारी है।
- प्रति मरीज सिर्फ 2 से 2.50 रुपए का बजट मिलता है, जिससे दवाओं की भारी कमी बनी रहती है।
यूनानी अस्पतालों के आंकड़े
- 462 यूनानी अस्पताल प्रदेश में
- 495 चिकित्सक पद स्वीकृत
- 348 चिकित्सक कार्यरत
- 147 चिकित्सक पद खाली
- 348 नर्सिंगकर्मी पद स्वीकृत
- 271 नर्सिंगकर्मी कार्यरत
- 77 नर्सिंगकर्मी पद खाली
सरकार की अनदेखी से यूनानी चिकित्सा पद्धति संकट में है। मरीजों को बेहतर इलाज और पर्याप्त दवाएं देने के लिए बजट बढ़ाना बेहद जरूरी है।