क्या है मामला?
साल 1985-86 में जब डिंडौरी, मंडला जिले का हिस्सा था, तब प्रदेश सरकार ने इंदिरा आवास योजना के तहत गांव में 25 आवासों की कॉलोनी बनाई थी। इन घरों में गरीब और बेघर लोगों को बसाया गया। अधिकतर घर सरकारी जमीन पर बने, लेकिन जहां सरकारी जमीन नहीं थी, वहां ग्रामीणों ने अपनी जमीन दान दी।
समस्या क्यों हुई?
आवास तो बन गए, लेकिन दान की गई जमीन को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया। 40 साल बाद भी वह जमीन दान देने वाले व्यक्ति के नाम पर ही है।
ग्रामीणों की मांग
अमृत लाल, सुरेश सिंह, रामगोपाल, नानबाई, शिवचरण, संतू, ओमती और बसोरी जैसे ग्रामीणों ने कलेक्टर को शिकायत दी है। उनकी मांग है कि राजस्व रिकॉर्ड में से निजी व्यक्ति का नाम हटाकर ग्राम पंचायत कोहानी देवरी का नाम दर्ज किया जाए, ताकि उन्हें उनकी जमीन का हक मिल सके।