कम मेहनताना, ज्यादा घंटे काम
टीमलीज डिजिटल स्टाफिंग फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 97.6% गिग वर्कर्स की सालाना कमाई 5 लाख रुपए से भी कम है। कई वर्कर्स हफ्ते में 100 घंटे तक काम करते हैं, फिर भी अच्छी कमाई नहीं कर पाते। जयपुर में भी हालात ऐसे ही हैं, जहां ज्यादातर गिग वर्कर्स की सालाना कमाई सिर्फ 1.5 से 2 लाख रुपए तक रह गई है। पहले उन्हें रोज 800 से 1000 रुपए बचत होती थी, लेकिन अब यह आधी हो गई है, जबकि खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं।
क्विक कॉमर्स में कुछ राहत
क्विक कॉमर्स, जहां 10-15 मिनट में सामान डिलीवर किया जाता है, वहां गिग वर्कर्स को कुछ फायदा हो रहा है। ये कंपनियां कमीशन के साथ-साथ अलग से पैसा भी देती हैं, ताकि ज्यादा लोग जुड़ सकें। राजस्थान गिग एंड ऐप बेस्ड वर्कर्स यूनियन का कहना है कि पहले अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी ऐसा होता था, लेकिन अब कंपनियों ने ये बंद कर दिया है।
रिपोर्ट के आंकड़े
- 97.6% गिग वर्कर्स की सालाना कमाई 5 लाख से कम है।
- 77.6% वर्कर्स की कमाई 2.5 लाख रुपए से भी कम है।
- 85% वर्कर्स 8 घंटे से ज्यादा काम करते हैं।
- 21% गिग वर्कर्स रोज 12 घंटे से ज्यादा काम करते हैं।
कमाई क्यों घटी?
- कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में भुगतान कम कर दिया है।
- गिग वर्कर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
- पहले एक ऑर्डर पर 35 रुपए तक मिलते थे, अब 10-15 रुपए ही मिलते हैं।
जयपुर के हालात
जयपुर में करीब 4 लाख गिग वर्कर्स काम कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कम कमाई और लंबी मेहनत से परेशान हैं।
-आशीष सिंह, अध्यक्ष, राजस्थान गिग एंड ऐप बेस्ड वर्कर्स यूनियन